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क्या कानून केवल गरीबों के लिए है ?

क्या कानून केवल गरीबों के लिए है?


ये एक सवाल हम सभी के दिमाग में तब आता है जब हम कभी समाचार में देखते हैं कोई बड़ा छूट गया या उसे सजा नहीं हुई। और जो लोग न्यूज़ नहीं देखते उन्हें ये बात अच्छे से समझ आ चुकी होती है। 
लेकिन जो आप सोच रहे हैं क्या वो सही है या आप गलत तो नहीं आइये आज इसपर ही बात करते हैं। 

पहले तो कानून को समझते हैं की हमारे देश में कैसे काम करता है।  अगर कोई घटना होती है या कोई जुर्म होता है , तो सबसे पहले हम पुलिस के पास जाते हैं FIR लिखवाने के लिए।  पुलिस पहले शिकायत लिखती है फिर आपके साथ जाकर या कुछ छानबीन के बाद ४८ घंटो में FIR लिखती है।  कुछ मामलो में बिना छानबीन के ही FIR लिखनी पड़ती है।  अब FIR के बाद मामला अदालत में पुलिस दर्ज कराती है , अगर आपको लगता है की पुलिस आपका साथ नहीं देगी तो आप सीधे अदालत भी जा सकते हैं।  अदालत में आपके वकील सबूत जमा करते हैं और जज उसे पढ़ते हैं फिल्मो की तरह नहीं की केवल सुनकर ही फैसला दे। अगर जिरह भी होती है फिर भी उसे लिखकर जज फिर से पड़ते हैं और सोच विचार कर फैसला देते हैं। 
हमारे देश का कानून ऐसा है की बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए भले ही अपराधी को सजा देने में समय लग जाये। 

अब आते हैं आपने मुद्दे पर पुलिस भी हमारी आपकी तरह इंसान है , उसे पता है गरीब को अगर एक दो दिन के लिए बंद भी कर दे या उसे एक दो थप्पड़ मार भी दे तो उसके पास इतना पैसा और समय नहीं की वो पुलिस के खिलाफ भी केस करे।  लेकिन अगर किसी अमीर के साथ ऐसा हुआ तो उसके पास वकीलों की फ़ौज है जो की पुलिस पे ही केस कर देगी क्योकि पुलिस बिना मतलब किसी को परेशान या मार नहीं सकती।  तो बेचारा गरीब आदमी कितना भी जानकार हो कुछ नहीं कर पाता।  यहाँ हम भृष्टाचार की बात नहीं करेंगे। 

अब आते हैं अदालत में , मान लिया पुलिस ने अपना काम कर दिया सबकुछ सही हो गया। लेकिन आपको तो कानून की जानकारी नहीं है।  आपको वकील करना ही पड़ेगा , ये बात हम सभी तो पता है वकील की फीस  १०० रूपये से लेकर १ करोड़ तक है।  अब ऐसा क्यों है , एक उदहारण लेते हैं आप मेरा ब्लोग नहीं पड़ते इसके अलावा भी बहुत हैं  और वही चीज जो मैंने लिखी है कोई और लिखता है तो लाखो लोग पढ़ते हैं मैं खुद लोगो की तारीफ़ करता हूँ एक ही बात कहने का तरीका बस अलग।  यही अंतर होता है वकीलों में भी १०० रूपये वाले की बात रखने का तरीका सही नहीं होता जिससे वो हार जाता है या केस का फैसला जल्दी नहीं करा पता है। अब इसमें गरीब आदमी की जेब से पैसा जाता है और कई बार वो पैसो की कमी और परेशानियों के कारण केस वापस ले लेता है और अमीर आदमी की जीत होती है।  कुछ वकील अच्छे भी हैं  जो कम पैसे भी लेते हैं ,लेकिन उनकी संख्या नहीं के बराबर है। 

कई बार तो केस जितने बाद भी कानूनी पंगे होते हैं जैसे जमीन का केस जितने पे कब्जा लेना।  उसमे भी पुलिस ,लेखपाल और तहसीलदार की जरुरत होती है। यहाँ भी अगर इन सरकारी लोगो के पास समय नहीं हुआ जो की अकसर ही नहीं होता है फिर आपके काम में देरी और उन्हें डर  इसलिए नहीं है क्योकि अभी आप केस लड़कर आये हो दुबारा इनपर करने ही आपमें हिम्मंत नहीं बची होगी ये जानते हैं क्योकि ये भी हमारी तरह ही इंसान हैं।  और अमीर को मना नहीं कर सकते क्योकि उसके सामने ये खुद गरीब हो जाते हैं। 

हो सकता है बहुत से लोग इससे सहमत न हो वो मुझे कमेंट में बता सकते हैं की मैं कहा गलत हूँ।  

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