सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पता नहीं क्यों पिता हमेशा पिछड़ रहे हैं।

                                                    पता नहीं क्यों पिता हमेशा पिछड़ रहे हैं। 1. माँ की तपस्या 9 महीने की होती है! पिताजी की तपस्या 25 साल तक होती हैं, दोनों बराबर हैं, मगर फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं। 2. माँ परिवार के लिए भुगतान किए बिना काम करती है, पिताजी भी अपना सारा वेतन परिवार के लिए ही खर्च करते हैं, उनके दोनों के प्रयास बराबर हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं। 3. माँ आपको जो चाहे पकाती है, पिताजी भी आप जो भी चाहते हैं, खरीद देते हैं, प्यार दोनों का बराबर है, लेकिन माँ का प्यार बेहतर है। पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं। 4. जब आप फोन पर बात करते हैं, तो आप पहले मॉम से बात करना चाहते हैं, अगर आपको कोई चोट लगी है, तो आप 'मॉम' का रोना रोते हैं। आपको केवल पिताजी की याद होगी जब आपको उनकी आवश्यकता होगी, लेकिन पिताजी को कभी बुरा नहीं लगता कि आप उन्हें सदैव और हर बार याद नहीं करते? जब पीढ़ियों के लिए बच्चों से प्यार प्राप्त करने की बात आती है, तो कोई यह नहीं जानता कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं। 5. अलमारी बच्चों के लिए रंगीन कपड़ो व स

एक शक्तिशाली प्रधानमंत्री और मजबूत सरकार होने के बावजूद भी भारतिय अर्थव्यवस्था क्यों गिरती जा रही है ?

  इस वक्त हमारे देश में शक्तिशाली प्रधानमंत्री जी और पूर्ण बहुतमत वाली सरकार है | इसमें कोई शक नही,लेकिन सच्चाई बहुत ज्यादा कडवी है | पिछले कुछ सालों से देश में माहौल ऐसा है कि सच्चाई कोई देखना नहीं चाहता है | जो हमारे प्रमुख मुद्दे बदल गये हैं या बदले गये हैं यह सवाल है | आप अपने दिल पर सच्चाई से हाथ रखकर यह कहो कि आपने इस सरकार वोट क्यों दिया? 2014 में हालात कुछ और थे लेकिन मैं बात कर रहा हूँ 2019 के इलेक्शन की | क्या जबाब आया ? कृपया सच्चाई से बताइये | मुझे लगता है आपको जवाब मिल गया होगा कि इस इलेक्शन में हमारे मुद्दे ऐसे थे जिनका विकास और अर्थव्यस्था से कोई लेना देना नही था | जबकि हमारे पास 5 सालो का ट्रैक रिकॉर्ड था यह फैसला करने के लिए कि क्या विकास हुआ और क्या अर्थवस्था ठीक चल रही है | मैं यह नही कह रहा हूँ कि जिन मुद्दों पे हमने वोट किया है वो सही नही थे | वो भी मूद्दे थे और रहेंगे लेकिन देश चलता है विकास और अच्छी अर्थव्यवस्था से | जब आपके खाने को कुछ  नहीं  होगा तो क्या कुछ कर पाएंगे? नहीं ना! अर्थव्यवस्था देश को मजबूत करती है , लेकिन हम किसी और दिशा की ओर चल पड़े है | आप सोच र

क्या कानून केवल गरीबों के लिए है ?

क्या कानून केवल गरीबों के लिए है? ये एक सवाल हम सभी के दिमाग में तब आता है जब हम कभी समाचार में देखते हैं कोई बड़ा छूट गया या उसे सजा नहीं हुई। और जो लोग न्यूज़ नहीं देखते उन्हें ये बात अच्छे से समझ आ चुकी होती है।  लेकिन जो आप सोच रहे हैं क्या वो सही है या आप गलत तो नहीं आइये आज इसपर ही बात करते हैं।  पहले तो कानून को समझते हैं की हमारे देश में कैसे काम करता है।  अगर कोई घटना होती है या कोई जुर्म होता है , तो सबसे पहले हम पुलिस के पास जाते हैं FIR लिखवाने के लिए।  पुलिस पहले शिकायत लिखती है फिर आपके साथ जाकर या कुछ छानबीन के बाद ४८ घंटो में FIR लिखती है।  कुछ मामलो में बिना छानबीन के ही FIR लिखनी पड़ती है।  अब FIR के बाद मामला अदालत में पुलिस दर्ज कराती है , अगर आपको लगता है की पुलिस आपका साथ नहीं देगी तो आप सीधे अदालत भी जा सकते हैं।  अदालत में आपके वकील सबूत जमा करते हैं और जज उसे पढ़ते हैं फिल्मो की तरह नहीं की केवल सुनकर ही फैसला दे। अगर जिरह भी होती है फिर भी उसे लिखकर जज फिर से पड़ते हैं और सोच विचार कर फैसला देते हैं।  हमारे देश का कानून ऐसा है की बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए भले