तो आप सभी जानते होंगे की हर बार मीडिया में उत्तर प्रदेश और बिहार के बोर्ड की परीक्षा बदनाम रही है और सरकार हर साल नक़ल नहीं हो इसके लिए इंतेज़ाम करती है। इस बार सरकार ने कमर कस ली है की चाहे कुछ भी हो जाये नक़ल नहीं होने देना है। लेकिन सरकार और अफसर ये भूल जाते हैं की वो पढ़े तो उसी विद्यालय में हैं तो जो भी वो सोचते हैं उससे पहले स्कूल वाले सोच लेते हैं। अब देखिये कैसे कैसे इंतेज़ाम हुए हैं।
इस बार बड़े बड़े अफसर मंत्री कोई भी दौरा कर सकता है एग्जाम सेंटर पे। लेकिन इस दौरे की जिम्मेदारी होगी छोटे अफसरों पे और छोटे अफसर जिम्मेदारी देंगे स्कूल वालो को। साहब के आने पे तयारी अच्छी होनी चाहिए। और अच्छी तयारी के लिए प्रिंसिपल साहब हो 15 मिनट पहले बताना होगा। बस हो गया सारा इंतेज़ाम।
अब मान ले की कोई तयारी नहीं की गयी जो असंभव है लेकिन मानने में क्या जाता है। तो मान लीजिये की बड़े साहब बिना बताये आ गए तो स्कूल से 5 किलोमीटर के दायरे में जो कर्मचारी एग्जाम सेंटर वालो ने लगा के रखे होते है वो किस दिन काम आएंगे और साहब पैदल तो आ नहीं जायेंगे आएंगे तो सरकारी गाड़ी से ही आएंगे। इधर साहब दिखे उधर मोबाइल की घंटी बजी और हो गया सारा इंतेज़ाम।
अब ये भी मान ले की साहब बिना सरकारी गाड़ी के आ जाये तो उन्हें पहचानेगा कौन और पहचान भी लिया तो उन्हें साहब मानेगा कौन जब तक वो अपनी पहचान कराएँगे की हम साहब ही हैं तबतक हो चुका होगा सारा इंतेज़ाम।
अब अफसरों को कोटा भी पूरा करना होता की कुछ स्कूल को पकडे तो बड़ी मेहनत करके १०० में से २ को पकड़ भी लेते हैं और मीडिया में खूब वाह वाही लुटते हैं लेकिन जब एग्जाम सेंटर से १०० में से १० मिल जाता है बस जांच बंद और सबकुछ पहले जैसा। हो गया सारा इंतेज़ाम अगली बार का भी।
जिंदगी में काम वही चीजे आती हैं जो बिना नक़ल या अपनी मेहनत से सीखी जाती हैं। तो आप खुद पर भरोसा रखे क्योकि जो चीज अभी बिना मेहनत के मिल जाती है उसका बाद में बहुत बड़ा भुगतान करना होता है। केवल आप ही रोक सकते हैं नक़ल को और कोई नहीं।
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